बीएचयू ने शुरू किया 'हिंदू धर्म' पर स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम

January 20, 2022 | 00:00:00 113 Views

वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने 'हिंदू धर्म' में स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू किया है और विश्वविद्यालय के अनुसार यह देश में अपनी तरह का पहला पाठ्यक्रम है।

विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रोफेसर वी के शुक्ला ने कहा कि यह कार्यक्रम दुनिया को 'हिंदू धर्म' के कई अज्ञात पहलुओं से अवगत कराने और इसकी शिक्षाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि यह देश में इस तरह का पहला कोर्स होगा।

पाठ्यक्रम 'भारत अध्ययन केंद्र' के कला संकाय के दर्शन और धर्म, संस्कृत और प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग के सहयोग से आयोजित किया जाएगा।

मंगलवार को स्नातकोत्तर कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद शुक्ला ने बताया कि पाठ्यक्रम के पहले सत्र में एक विदेशी छात्र समेत 45 छात्रों ने प्रवेश लिया है।

'भारत अध्ययन केंद्र' के समन्वयक सदाशिव कुमार दिवेदी ने बताया कि दो साल के इस कोर्स में चार सेमेस्टर और 16 पेपर होंगे।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के वाराणसी केंद्र के निदेशक विजय शंकर शुक्ला ने कहा कि इस तरह का कोर्स शुरू करने का विचार सबसे पहले पंडित गंगानाथ झा और पंडित मदन मोहन मालवीय ने दिया था। लेकिन किन्हीं कारणों से उस समय यह कोर्स शुरू नहीं हो सका।

वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने 'हिंदू धर्म' में स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू किया है और विश्वविद्यालय के अनुसार यह देश में अपनी तरह का पहला पाठ्यक्रम है।

विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रोफेसर वी के शुक्ला ने कहा कि यह कार्यक्रम दुनिया को 'हिंदू धर्म' के कई अज्ञात पहलुओं से अवगत कराने और इसकी शिक्षाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि यह देश में इस तरह का पहला कोर्स होगा।

पाठ्यक्रम 'भारत अध्ययन केंद्र' के कला संकाय के दर्शन और धर्म, संस्कृत और प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग के सहयोग से आयोजित किया जाएगा।

मंगलवार को स्नातकोत्तर कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद शुक्ला ने बताया कि पाठ्यक्रम के पहले सत्र में एक विदेशी छात्र समेत 45 छात्रों ने प्रवेश लिया है।

'भारत अध्ययन केंद्र' के समन्वयक सदाशिव कुमार दिवेदी ने बताया कि दो साल के इस कोर्स में चार सेमेस्टर और 16 पेपर होंगे।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के वाराणसी केंद्र के निदेशक विजय शंकर शुक्ला ने कहा कि इस तरह का कोर्स शुरू करने का विचार सबसे पहले पंडित गंगानाथ झा और पंडित मदन मोहन मालवीय ने दिया था। लेकिन किन्हीं कारणों से उस समय यह कोर्स शुरू नहीं हो सका।